रूसी कवि अलेक्सान्दर ब्लोक की कविताएँ
मौत की गोद में जा रहे हैं क़बीले
बीत रहे हैं तेज़ी से गुज़र रहे हैं साल
कोई छीन नहीं सकता दिन प्रेम के नशीले
कसमसाएँ दिल में जो करते हैं धमाल
सिर्फ़ एक बार देखना चाहता हूँ तुझे
झुकना चाहता हूँ क़दमों में तेरे, सरेआम
कहना चाहता हूँ मरने से पहले यह तुझे
प्रेम करता हूँ मैं आपको, मदाम !
जीवित हूँ मैं अभी, हिया मेरा बघेरा
जानकर यह तुम कि जीवित हूँ मैं
ख़ूब गहरी नींद सो रही हो, प्रिया !
पर भड़क उठेगा मेरा गुस्सा जिस समय
तोड़ डालूँगा तब मैं, तुम्हारा यह जूआ
याद होगा तुम्हें शायद पुराना वह गीत
जिसमें आधी रात को मृतक एक किशोर
क़ब्र से उठ आया था निभाने को रीत
फिर साथ ले गया अपने वह कन्या चित्त-चोर
ओ अनुपमे ! ओ सुलक्षणे ! तू विश्वास कर मेरा
बहुत भोली और पवित्र, प्यारी बालिका है तू
जीवित हूँ मैं अभी, हिया मेरा बघेरा
सभी मृतकों से बलशाली है अभी मेरी रुह
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय
सीथियाई
माना तुम हो लाखों
लेकिन हम प्रचण्डधारा अटूट हैं
वेग हमारा रोक नहीं पाओगे
हम हैं सीथिआई
सोचो रक्त एशिया अपना
सामूहिक भूखें वक्र बनाती हैं
अपनी भकुटी को
धीमे-धीमे शब्द तुम्हारे
अपने लिए मात्र घंटे-से
चाटुकर गर्हित दासों-सा है यूरोप तुम्हारा
मंगोल दलों से जिसे बचाता
पर्वताकार विस्तृत अपार पौरुष अपना
सदियों रोक षड़यन्त्रों को
तुमने हिम दरकन-सा
सुनी पुकारें अनहोनी अनजान कथा-सी
लिस्बन और मसीना की
सदियों स्वन तुम्हारे सीमित थे पूरब तक
लूटा माल चुराये मोती छिपा लिया सब
धोका देकर घेरा हमको बन्दूकों से
आ पहुँचा है समय
कयामत ने अपने डैने फैलाये
बहुत कर चुके तुम अपमानित
अब अपनी भकुटी तनती है
घंटा बजा कि हमने तोड़ा
अहं तुम्हारे का दुखदायी घेरा
ढेर लगाया दुर्बल पैस्तमों का
अत:वद्ध जग ठहरो
वरना जो अन्तिम आशा है
उसका अन्त निकट है
लो प्रज्ञा से काम
तुम्हारे चमत्कार अब श्रान्त-क्लान्त है
वद्ध ईडिपस
स्फिंक्स खड़ा है अब भी
इसके सम्मुख आओ
पढो द्गों में गूढ पहेली
रात सड़क लैम्प...
रात
सड़क
लैम्प
कैमिस्ट की दुकान
धुंधली और अर्थहीन रोशनी
और अगर जिओ तुम
एक चौथाई शताब्दी
तब भी सभी कुछ
होगा ऎसा ही
इससे निकलने का
रास्ता नहीं
मर जाओगे
नए सिरे से फिर से शुरू करोगे
और पुराने जैसा
सब कुछ दोहराओगे
रात
सड़क
लैम्प
कैमिस्ट की दुकान
अंग्रेज़ी से अनुवाद : रमेश कौशिक
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